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हिंदी दिवस की कविताएं


बर्फ...!⛄⛄

अंतहीन श्वेत सैलाब बनकर
न जाने कौन सा रहस्य है इसके भीतर

ठंड से ठिठुरती मौत
लगतीं हों जैसे कोई सौत

पैनी धारों से छलनी कल देती हैं उंगलियां
या,बर्फ से जमतीं धमनियां

फिर भी, कितना अलौकिक है
इसका स्पर्श..
शुद्धता का स्नेहिल प्रतीक है..बर्फ...!!!

**
सीमा..✍️
©®
#हिंदी दिवस प्रतियोगिता

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11 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन,,, छलनी कल की जगह कर देती हैं,, होना चाहिए

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Swati chourasia

20-Sep-2022 07:58 PM

बहुत खूब 👌

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Kavita Jha

18-Sep-2022 08:51 AM

वाह बहुत ही सुन्दर शब्दों का चयन 👌👌

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